Class 8 sanskrit chapter 4 sanskrit to hindi translation
चतुर्थः पाठः
सदैव पुरतो निधेहि चरणम्
Hindi translation
चल चल पुरतो निधेहि चरणम्।
सदैव पुरतो निधेहि चरणम्॥
चलो चलो कदम आगे रखो | सदा ही कदम आगे बढाओ | (इन पंक्तियों में कवि सदा ही आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा दे रहे हैं )
गिरिशिखरे ननु निजनिकेतनम्।
विनैव यानं नगारोहणम्।।
बलं स्वकीयं भवति साधनम्।
सदैव पुर....................... ||
पर्वत के शिखर पर ही अपना निवास है। ( हमें ) किसी यान के बिना ही वहाँ तक चढ़ना होगा, ( हमारा ) खुद का बल ही एकमात्र साधन है। ( इसलिए ) सदा ही आगे बढ़ते रहो ।
पथि पाषाणा: विषमाः प्रखराः ।
हिंस्त्राः पशवः परितो घोराः ।।
सुदुष्करं खलु यद्यपि गमनम्।
सदैव पुरो....................... ||
पथ पर असामान्य नुकीले पत्थर हैं और भयानक | हिंसक पशु चारो ओर हैं (बाधा उत्पन्न करने के लिए ) | | परन्तु इस अत्यंत कठिनतापूर्वक साध्य लक्ष्य तक हमें अवश्य ही जाना होगा । ( इसलिए ) सदा ही आगे बढ़ते रहो ।
जहीहि भीतिं भज-भज शक्तिम् ।
विधेहि राष्ट्रे तथाऽनुरक्तिम्।।
कुरु कुरु सततं ध्येय-स्मरणम्।
सदैव पुरतो.................... ||
डर को छोड़ो, शक्ति को जपो और राष्ट्र से प्रेम करो | अपने लक्ष्य का निरंतर स्मरण करो | सदा ही आगे बढ़ते रहो ।
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