Class 7 sanskrit Chapter 11 hindi translation

 एकादशः पाठः


समवायो हि दुर्जयः


Hindi translation


पुरा एकस्मिन् वृक्षे एका चटका प्रतिवसति स्म। कालेन तस्याः सन्तति: जाता। एकदा कश्चित् प्रमत्तः गजः तस्य वृक्षस्य अधः आगत्य तस्य शाखां शुण्डेन अत्रोटयत्। चटकायाः नीडं भुवि अपतत्। तेन अण्डानि विशीर्णानि। अथ सा चटका व्यलपत्। तस्याः विलापं श्रुत्वा काष्ठकूट: नाम खगः दुःखेन ताम् अपृच्छत् " भद्र, किमर्थं विलपसि?" इति।

पहले के समय में एक वृक्ष पर चिड़िया थी। समथ के साथ उसके सन्तान बडे़ हो गऐ। ऐक बार कोई मस्त हाथी ने उस वृक्ष के नीचे आकर उस पड़ की टहनी को सूंड से तोड़ दिया। चिड़िया का घोंसला जमीन पर गिर गया । उस चिड़िया अंडे फूट गए । तब वह चिड़िया रोने लगी। उसके बिलाप को सुनकर काष्ठकूट नाम का पक्षी दुःख पूर्वक उससे पूछा की तूम किसलिए रो रही हौ?"




चटकावदत्-"दुष्टेनैकेन गजेन मम सन्ततिः नाशिता। तस्य गजस्य वधेनैव मम दुःखम् अपसरेत्।" ततः काष्ठकूट: तां वीणारवा-नाम्न्याः मक्षिकायाः समीपम् अनयत्। तयोः वार्तां श्रुत्वा मक्षिकावदत्-"ममापि मित्रं मण्डूकः मेघनाद: अस्ति। शीघ्रं तमुपेत्य यथोचितं करिष्याम:।" तदानीं तौ मक्षिकया सह गत्वा मेघनादस्य पुरः सर्वं वृत्तान्तं न्यवेदयताम्।

चिड़िया बोली ऐक दुष्ट हाथि ने मेरे सन्तान नष्ट कर दी। अस हाथी को मेर कर हि मरा दुःख दूर होगा । तब काष्ठकूट उसे वीणारवा नाम कि मक्खी के पास ले गया। उनकी बात सुनकर मक्खी बोली “ मेरा भी एक मीत्र है | मेघनाद नाम का मेंढक । मेघनाद के पास चलना हि उचित होग। तब उन दोनों के मक्खी के साथ राया जानकर मेघनाद के सामने सारा किस्सा सुना दिया।




मेघनाद: अवदत्- "यथाहं कथयामि तथा कुरुतम्। मक्षिके! प्रथमं त्वं मध्याह्ने तस्य गजस्य कर्ण शब्दं कुरु, येन सः नयने निमील्य स्थास्यति। तदा काष्ठकूट: चञ्च्वा तस्य नयने स्फोटयिष्यति। एवं सः गज: अन्ध: भविष्यति । तृषार्त: स: जलाशयं गमिष्यति । मार्गे महान् सत्त: अस्ति। तस्य

मेघनाट बोला "जैंसा में कहता हूँ । हे वीणारवा पहले तुम दोपहर के समय उस हाथी के कान में शब्द करो जिससे वह आँखे बंद कर ले | तब काष्ठकट चेचं से उसकी आखें फोड़ डालेगा । रस प्राकर वह हाथी अन्धा हो जाएगा । जब वह प्यास से व्याकुल होकर वह तालाब के ओर जाएगा।




अन्तिके अहं स्थास्यामि शब्दं च करिष्यामि। मम शब्देन तं गर्त जलाशयं मत्वा स तस्मिन्नेव गर्ते पतिष्यति मरिष्यति च।" अथ तथा कृते सः गजः मध्याह्ने मण्डूकस्य शब्दम् अनुसृत्य महतः गर्तस्य अन्तः पतित: मृतः च। तथा चोक्तम् -

विशाल गडदा है। उसके पास मौ खड़ा हो जाऊँगा और ( टर् टर्) की आवाज नीकालुगा । वह मेरे ( टर् टर्) की आवाज के द्वारा उस गड्ढको तालाब मानकर बह उस गड्ढे में गिर पड़ेगा और मर जाएगा और वैसा हि हुआ | 

     



   ` बहूनामप्यसाराणां समवायो हि दुर्जयः '।

- अनेक निर्बल (छोटे प्राणियों का संगठन (मेल) भी मरिकल से जीतने योग्य होता है । ( अर्धात दर्भय होता है । )










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