Posts

Showing posts from April, 2021

Class 8 sanskrit chapter 5 sanskrit to hindi translation

  पञ्चमः पाठः कण्टकेनैव कण्टकम् Hindi translation आसीत् कश्चित् चञ्चलो नाम व्याधः।पक्षीमृगादिनां ग्रहणेन स्वीयां जीविका निर्वाहयति स्म । एकदा स: वने जालं विस्तीर्यं गृहम् आगतवान्।अन्यस्मिन् दिवसे प्रात:काले यदा चञ्चल: वनं गतवान् तदा सः दृष्टवान् यत् तेन विस्तारते जाले दौर्भाग्याद् एक बेद्ध: आसीत् । कोई चंचल नाम का शिकारी था। पशु-पक्षी आदि को पकड़कर वह अपनी जीविका चलाता था। एक बार वह वन में जाल बिछाकर घर आ गया।दूसरे दिन सुबह जब वह वन में गया तब उसने देखा कि उसके द्वारा बिछाए गए जाल में दुर्भाग्य से एक बाघ फँस गया। व्याघ्र: क्लान्तः आसीत् ।सोऽवदत् भो मानव ! पिपासुः अहम् । नद्या: जलमानीय मम पिपासां शमय । व्याघ्रः जलं पीत्वा पुनः व्याधमवदत् शमय मे पिपासा | साम्प्रतं बुभुक्षितोऽस्मि। इदानीम् अहं त्वां खादिष्यामि । चञ्चलः उक्तवान् अहं त्वतकृते धर्मम् आचरितवान् ।त्वया मिथ्या भणितम्।त्वं मां खादितुम् इच्छसि ?  बाघ थका हुआ था।वह बोला- हे मानव! मैं प्यासा हूँ, नदी का जल लाकर मेरी प्यास शांत करो। बाघ ने जल पीकर फिर शिकारी को बोला मेरी प्यास शांत हुई ।।अब मैं भूखा हूँ । इस समय मैं तुम्हें...

Class 8 sanskrit chapter 4 sanskrit to hindi translation

  चतुर्थः पाठः सदैव पुरतो निधेहि चरणम् Hindi translation चल चल पुरतो निधेहि चरणम्। सदैव पुरतो निधेहि चरणम्॥ चलो चलो कदम आगे रखो | सदा ही कदम आगे बढाओ | (इन पंक्तियों में कवि सदा ही आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा दे रहे हैं ) गिरिशिखरे ननु निजनिकेतनम्।  विनैव यानं नगारोहणम्।। बलं स्वकीयं भवति साधनम्। सदैव पुर....................... || पर्वत के शिखर पर ही अपना निवास है। ( हमें ) किसी यान के बिना ही वहाँ तक चढ़ना होगा, ( हमारा ) खुद का बल ही एकमात्र साधन है। ( इसलिए ) सदा ही आगे बढ़ते रहो । पथि पाषाणा: विषमाः प्रखराः ।  हिंस्त्राः पशवः परितो घोराः ।।  सुदुष्करं खलु यद्यपि गमनम्।  सदैव पुरो....................... || पथ पर असामान्य नुकीले पत्थर हैं और भयानक | हिंसक पशु चारो ओर हैं (बाधा उत्पन्न करने के लिए ) | | परन्तु इस अत्यंत कठिनतापूर्वक साध्य लक्ष्य तक हमें अवश्य ही जाना होगा । ( इसलिए ) सदा ही आगे बढ़ते रहो । जहीहि भीतिं भज-भज शक्तिम् ।  विधेहि राष्ट्रे तथाऽनुरक्तिम्।।  कुरु कुरु सततं ध्येय-स्मरणम्।  सदैव पुरतो.................... || डर को छोड़ो, शक्त...

Class 8 sanskrit chapter 3 sanskrit to hindi translation

  तृतीयः पाठः डिजीभारतम् Hindi translation अद्य संपुर्णविश्वे "डिजिटल इण्डिया” इत्यस्य चर्चा श्रूयते । अस्य पदस्य कः भावः इति मनसि जिज्ञासा उत्पद्यते । कालपरिवर्तनेन सह मानवस्य आवश्यकताऽपि परिवर्तते । आज सारे संसार में ' इंडिया' की चर्चा सुनी जाती है। ‘इस शब्द का भाव क्या है -ऐसी जानने की इच्छा उत्पन्न होती है। काल के परिवर्तन के साथ मानव की आवश्यकता भी परिवर्तित होती है। प्राचीनकालं ज्ञानस्य आदान-प्रदानं मौखिकम् आसीत्, विद्या च श्रुतिपरम्परया गृह्यते स्म । अनन्तरं तालपत्रोपरि भोजपत्रोपरि च लेखनकार्यम् आरब्धम् । पुराने समय में ज्ञान का आदान-प्रदान वाणी के द्वारा होता था तथा विद्या श्रवण परंपरा से रहित की जाती थी। तत्पश्चात् तालपत्र के ऊपर तथा भोजपत्र पर लेखन कार्य आरंभ हुआ। परवर्तिनि काले कर्गदस्य लेखन्याः च आविष्कारेण सर्वेषामेव मनोगतानां भावानां कर्गदोपरि लेखनं प्रारब्धम्। टंकणयंत्रस्य आविष्कारेण तु लिखिता सामग्री टंकिता सती बहुकालाय सुरक्षिता अतिष्ठत्। परिवर्तन के काल में तथा लेखनी के आविष्कार से सभी के मन में स्थित भावों का कागज के ऊपर लेखन प्रारंभ हुआ। छपाई के यंत्र क...

Class 8 sanskrit chapter 2 hindi translation

  द्वितीयः पाठः बिलस्य वाणी न कदापि मे श्रुता Hindi translation कस्मिश्चित् वने खरनखरः नाम सिंहः प्रतिवसति स्म। सः कदाचित् इतस्ततः परिभ्रमन् क्षुधार्तः न किंचिदपि आहार प्राप्तवान्। ततः सूर्यास्तसमये एकां महतीं गुहां दृष्ट्वा सः अचिन्तयत्- "नूनम् एतस्यां गुहायां रात्रौ कोऽपि जीवः आगच्छति। अतः अत्रैव निगूढो भूत्वा तिष्ठामि' इति। किसी वन में खरनखर नामक एक शेर रहता था | एक दिन की बात है ,वह बहुत भूखा था और भूख से व्याकुल होकर वह जंगल में खाने के खोज में इधर-उधर घूम रहा था | पर उसे भोजन कहीं नहीं मिला | सूर्यास्त के समय उसे एक बड़ी गुफा दिखी, उस गुफा को देखकर उसने सोचा, " अवश्य रात में कोई जीव इस गुफा में आएगा| अतः = मुझे यहीं छिपकर रहना चाहिए।" शेर वहां छिपकर इंतजार करने = लगा ताकि कोई जीव आये और वह उसे अपना भोजन बना ले | एतस्मिन् अन्तरे गुहायाः स्वामी दधिपुच्छः नामकः शृगालः समागच्छत्। स च यावत् पश्यति तावत् सिंहपदपद्धतिः गुहायां प्रविष्टा दृश्यते, न च बहिरागता। शृगालः अचिन्तयत्-" अहो विनष्टोऽस्मि। नूनम् अस्मिन् बिले सिंहः अस्तीति तर्कयामि। तत् किं करवाणि?" एवं...

Class 8 sanskrit Chapter 1 hindi translation

  प्रथमः पाठः सुभाषितानि Hindi translation गुणा गुणज्ञेषु गुणा भवन्ति  ते निर्गुणं प्राप्य भवन्ति दोषाः। सुस्वादुतोयाः प्रभवन्ति नद्यः समुद्रमासाद्य भवन्त्यपेयाः ।।1|| गुण जब तक गुणी व्यक्ति के पास होते हैं तब तक गुण होते हैं। परन्तु जब वे गुण गुणहीन व्यक्ति को प्राप्त होते हैं तो वे दोष बन जाते हैं। जैसे स्वादिष्ट जल वाली नदियाँ बहती हुई समुद्र से मिलते ही अपेय (न पीने योग्य) हो जाती हैं। साहित्यसङ्गीतकलाविहीनः  साक्षात्पशुः पुच्छविषाणहीनः। तृणं न खादत्रपि जीवमानः  तद्भागधेयं परमं पशूनाम् ।।2।। साहित्य, संगीत, कला आदि से रहित व्यक्ति बिना पूँछ और सींग वाला साक्षात् पशु है। वह घास न खाकर भी जीवित है। यह उन पशुओं के लिए सौभाग्य की बात है। लुब्धस्य नश्यति यशः पिशुनस्य मैत्री  नष्टक्रियस्य कुलमर्थपरस्य धर्मः।  विद्याफलं व्यसनिनः कृपणस्य सौख्यं  राज्यं प्रमत्तसचिवस्य नराधिपस्य ।।3।। लालची व्यक्ति का यश, चुगलखोर की मित्रता, अकर्मण्य व्यक्ति का वंश, धन के लोभी व्यक्ति का धर्म, बुरी लत वाले व्यक्ति की विद्या, कंजूस का सुख और आलसी मंत्रियों वाले राजा का राज्य ...